प्रस्तावना -
सुनिए ,सुनिए ,सुनिए श्रीमान ,
क्यों चाचा ,क्यों पहलवान l
कभी सुना है चोर का वलिदान l
अजी ,चोर के नाम से हो जाते खड़े कान l
बड़ो बड़ो की उड़ जाती नीद ,धौस ,जुबान l
चोरो के जीवन का यही है खेल ,
मारे गये मुठभेड़ में या तो गए जेल l
हा ,कभी कभी छुट जाते है ,सबूत के अभाव में l
पर , पुन : पकडे जाने पर ,
शेष न रहती हड्डी ,
हाथ और पाव में l
क्यों ,पुलिस अंकल ,
उड़ा देवे जो सबकी नीद ,
उससे कहा उमीद ,
सपने में भी सोचा कभी ,
होगा वह शहीद l
चोरो का तो होता है मरण l
कब करती वलिवेदी उनको वरण l
तोड़ कर परम्पराओ का फाटक l
प्रस्तुत है आपके के समक्ष ,
अनूठा यह नाटक l
तो ,देखिए ,देखिए ,देखिए श्रीमान l
मत हो हैरान , मत हो परेशान ,
क्यों अली चाचा , क्यों रामू पहलवान l
आइये ,देखते है ,
चोर का अदभुत वलिदान l l
(राजकुमार ,अमात्यानंदन एवं वणिक सुत का प्रवेश )
राजकुमार -
सुनिए ,सुनिए ,सुनिए श्रीमान ,
क्यों चाचा ,क्यों पहलवान l
कभी सुना है चोर का वलिदान l
अजी ,चोर के नाम से हो जाते खड़े कान l
बड़ो बड़ो की उड़ जाती नीद ,धौस ,जुबान l
चोरो के जीवन का यही है खेल ,
मारे गये मुठभेड़ में या तो गए जेल l
हा ,कभी कभी छुट जाते है ,सबूत के अभाव में l
पर , पुन : पकडे जाने पर ,
शेष न रहती हड्डी ,
हाथ और पाव में l
क्यों ,पुलिस अंकल ,
उड़ा देवे जो सबकी नीद ,
उससे कहा उमीद ,
सपने में भी सोचा कभी ,
होगा वह शहीद l
चोरो का तो होता है मरण l
कब करती वलिवेदी उनको वरण l
तोड़ कर परम्पराओ का फाटक l
प्रस्तुत है आपके के समक्ष ,
अनूठा यह नाटक l
तो ,देखिए ,देखिए ,देखिए श्रीमान l
मत हो हैरान , मत हो परेशान ,
क्यों अली चाचा , क्यों रामू पहलवान l
आइये ,देखते है ,
चोर का अदभुत वलिदान l l
(राजकुमार ,अमात्यानंदन एवं वणिक सुत का प्रवेश )
राजकुमार -