Monday 9 July 2012

prajatantra

प्रजातंत्र 
प्रजातंत्र  में ,
वाणी  की  स्वतंत्रता  के  नाम  पार ,
कीचड़  उछालते  है l
परनिंदा  में  प्रवीण  ब्यक्ति ,
कुशल  वक्ता  कहलाता  है l
देश  का  अधिक  से  अधिक ,
दोहन  कर  सके l
विकास  के  नाम  पर ,
जेबे  भर  सके ,
नित्य  नए  घोटालो  का ,
जो  है  प्रणेता ,
प्रजातंत्र  में  माना  जाता ,
एक  सच्चा  नेता l
वास्तव  में , प्रजातंत्र  में ,
मनमानी  करने  की  है  छुट l
लूट  मची  है  लूट l
सहनशीलता  रोती  है l
उग्रता  के  सामने  ,
शीतलता  सोती   है l
प्रजातन्त्र  में ,
जब  जो  चाहे , लेलेता  है  पंगा ,
जिसका  जी  चाहे  धो  लेता  है  हाथ ,
प्रजातंत्र  तो  है ,
एक  बहती  हुई  गंगा l l 

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