प्रजातंत्र
प्रजातंत्र में ,
वाणी की स्वतंत्रता के नाम पार ,
कीचड़ उछालते है lपरनिंदा में प्रवीण ब्यक्ति ,
कुशल वक्ता कहलाता है l
देश का अधिक से अधिक ,
दोहन कर सके l
विकास के नाम पर ,
जेबे भर सके ,
नित्य नए घोटालो का ,
जो है प्रणेता ,
प्रजातंत्र में माना जाता ,
एक सच्चा नेता l
वास्तव में , प्रजातंत्र में ,
मनमानी करने की है छुट l
लूट मची है लूट l
सहनशीलता रोती है l
उग्रता के सामने ,
शीतलता सोती है l
प्रजातन्त्र में ,
जब जो चाहे , लेलेता है पंगा ,
जिसका जी चाहे धो लेता है हाथ ,
प्रजातंत्र तो है ,
एक बहती हुई गंगा l l
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